पातंजल योगसूत्र में यम / Yama in Patanjali's Yoga Sutras
Main Article Content
Abstract
अष्टांग योग में यमादि आठ अंगो में से यहा प्रथम अंग यम का निरुपण किया है । अहिंसाए सत्यए अस्तेयए ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह यह पांच यम है । योग में वर्तमान समय में लोको द्वारा योग किया जाता हैं ए उसमें यम.नियम का पालन सुचारु रूप से नहीं किया जाता हैं ए अतः यहां सत्यए अहिंसा आदि पांच यमों का महत्त्व दर्शाया गया है ।
मुख्य शब्दः रू. यमए अहिंसाए सत्यए अस्तेयए ब्रह्मचर्यए अपरिग्रह
उदेश्य रू उदेश्य यह है कि अधिकतर लोग योग में मात्र आसनए प्राणायामादि से संलग्न रहते हैं । आसानादि का शारीरिकए मानसिक और आध्यात्मिक लाभ प्राप्त करने के लिये आचरण आवश्यक है। यह आचरण की बात यम.नियम में कही गई है । अतः लोकों का ध्यान इस आचरण की और आकृष्ट करने का उदेश्य है ।
//
In Ashtanga Yoga, out of the eight limbs Yamadi, here the first limb is represented as Yama. Ahimsa, Satya, Asteya, Brahmacharya and Aparigraha are the five Yamas. In the present time yoga is done by the lokas, in that the yamas-niyama is not followed smoothly, so here the importance of five yamas like truth, non-violence etc. has been shown.
Article Details
References
- पातंजल योगसूत्र .२ - २९
- सार्थ जोडणी कोशए गुजरात विद्यापीठए अहमदाबाद
- पूज्यपाद आचार्यश्रीए श्री मन्नथुराम शर्मा ष्श्री योगकौस्तुभ्ष्ए पृण्१०८ए प्रकाशक ए आनंदाश्रमए बिलखा
- डोण् उर्मिला बीण् भलसोहए योगनु तत्वज्ञानए पार्श्व पब्लिकेशनए अहमदाबाद
- पातंजल योगसूत्र .२ण्३०
- श्री योगकौस्तुभ. पृण्११०
- डोण् रघुवीर वेदांततालंकार उपण् में योगविद्या ए पृण्३८
- योगसूत्र तत्त्ववैशारदी .२ण्३०ए पृण्२४०
- पातंजल योगसूत्र .२-३५
- योगसूत्र व्यासभाष्य .२ण्३०ए पृण्२३९
- श्री जाबालदर्शनोपनिषद.१ण्९ ण्१०
- पूण् भाणदेवजीए योगविद्या प्रविण प्रकाशनए राजकोट
- मुण्डकोपनिषद दृ उपनिषद अङ्कए३ण्१ ८.५ ए गीता प्रेसए गोरखपुर
- ईशोपनिषद .१५
- याज्ञवल्यस्मृति
- जाबालदर्शनोपनिषद .१ण्११ .१२
- पूण् भाणदेवजी ए योगविद्या ध्पृण्५३ दृप्रविण प्रकाशनए राजकोट
- पातंजल योगसूत्र .२ण्३७
- योगसूत्र दृव्यासभाष्य .२ण्३०
- याज्ञवल्क्य संहिता दृ
- श्री यौग कौस्तुभ ण् पृण्११९
- श्री योग सूत्र ;तत्त्ववैशारदीद्ध२ण्३८
- श्री मद् भगवद् गीता .८ण्११
- श्री जाबालदर्शनोपनिषद .२ण्३ण्११
- श्री योगसूत्र ;तत्त्ववैशारदीद्ध२ण्३०
- विवेकचूडामणि.३६८
- श्री जाबालदर्शनोपनिषद .९ण्१९
- योगचूडामणि उपनिषद .४३
- श्री योगसूत्र .२ण्३९
- पतंजलि योगसूत्रो दृ अनुवादक दृ रामकृष्ण तुलजाराम व्यासएआवृत्तिए वर्षए प्रकाशक रू संण्साण् अकादमी गांधीनगर
- श्री योगकोस्तुभ.आचार्य श्री श्रीमन्नाथुराम शर्माए आनंदाश्रमए बिलखा
- योग और आयुर्वेद दृ आचार्य राजकुमार जैनए प्रकाशक रू चौखम्बा आरियन्टालिया ।
- श्री जाबालदर्शनोपनिषद. उपनिषत्संग्रह. संपादक रू पण्डित जगदीशशास्त्री ए पञ्चम संस्करण रू१९९८ए प्रकाशकः मोतीलाल बनारसी दास. दिल्ली
- श्री योगचूडामणि उपनिषद दृ गीता प्रेसए गोरखपुर
- याज्ञवल्क्य संहिता दृ संपादक शास्त्रीए ज्ञान प्रकाशदासए प्रकाशकः रू श्री स्वामिनारायण साहित्य प्रकाशन मंदिरए गांधीनगर
- छान्दोग्योपनिषद दृ गीताप्रेस गोरखपुरए उपनिषद अङ्कए तेरहवा संस्करण
- श्री मद् भगवद् गीता दृ आनंदाश्रम बिलखा ।
- विवेकचूडामणि दृ आचार्य श्रीए श्री मन्नाथुराम शर्माए आनंदाश्रम बिलखाए गुजरात दृ सौराष्ट्र
- कठोपनिषद दृ उपनिषद अङ्कए तेरहवा संस्करणए गीताप्रेस गोरखपुर
- तैतिरियोपनिषद दृ उपनिषद अङ्कए तेरहवा संस्करण ए गीताप्रेस गोरखपुर
- मुण्ड्कोपनिषद दृ उपनिषद अङ्कःए तेरहवा संस्करणए गीताप्रेस
- इशोपनिषद दृ उपनिषद अङ्कःए तेरहवा संस्करणए गीताप्रेस