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Prof Narendra Mishra

Abstract

रामधारी सिंह दिनकर भारतीय जनता की राष्ट्रीय भावना को पूरी शक्ति के साथ वाणी देने वाले ओजस्वी कवि हैं । दिनकर का काव्य विविधताओं से आच्छादित है जहाँ उन्होंने राष्ट्रवादी कविता लिखी है वहीं उन्होने समय के साथ-साथ प्रणय और रोमान्स कविता लिखने से भी नहीं परहेज किया हैं । उनके काव्य में निष्छल प्रणय की अन्तर्वाहिनी प्रवहमान रही है । वे शुष्क नैतिकतावादी या नीरस उपदेशात्मक कविता के पक्षपाती नहीं है । ’रेणुका’ उनकी पहली रचना है। इसमें प्रणय की प्रगाढ़ अनुभूति का मार्मिक चित्रण पाया जाता है । ’हुंकार’ में कवि की राष्ट्रीयता की भावना पराधीन भारत के दास्यबंधन को काटने की भीषण हुंकृति गर्जना के रूप में अभिव्यक्त हुई है । ’रसवंती’ में कवि का रूप बदल गया है । क्रांतिकारी के स्थान पर यहाँ एक सौंदर्योपासक कवि का रूप मिलता है । ’द्वंद्वगीत’ में कवि के मन का अंतर्द्वद्व प्रस्फुटित हो सका है । यहाँ दिनकर नियतिवादी रूप में प्रस्तुत हैं ।


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Ramdhari Singh Dinkar is a powerful poet who spoke with full force to the national spirit of the Indian people. Dinkar's poetry is covered with diversities where he has written nationalist poetry, while he has not shied away from writing romance and romance poetry along with the times. In his poetry there is an influx of unconditional love. He is not in favor of dry Puritan or dull didactic poetry. 'Renuka' is his first composition. In this, a poignant depiction of the intense feeling of love is found. In 'Hunkar', the feeling of nationalism of the poet has been expressed in the form of a roaring roar to cut the bondage of subordinate India. The form of the poet has changed in 'Raswanti'. Instead of a revolutionary, the form of an aesthetic poet is found here. The inner conflict of the poet's mind has been able to erupt in the 'Dual Geet'. Here Dinkar is presented in a fatalistic form.

Article Details

CITATION
DOI: 10.54903/haridra.v3i09.11384
Published: 2022-07-04

How to Cite
Mishra , P. N. . (2022). जनता की वाणी कोे स्वर देने वाले कवि दिनकर / Dinkar, the poet who gave voice to the voice of the people. Haridra Journal, 3(09), 08–15. https://doi.org/10.54903/haridra.v3i09.11384

References

  1. भारतीय साहित्य के निर्माता, रामधारी सिंह दिनकर, विजेंद्र नारायण सिंह, साहित्य अकादमी, रवींद्र भवन, 35 फीरोजशाह मार्ग, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2005, पृष्ठ क्र. 93
  2. भारतीय साहित्य के निर्माता, रामधारी सिंह दिनकर, विजेंद्र नारायण सिंह, साहित्य अकादमी, रवींद्र भवन, 35 फीरोजशाह मार्ग, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2005, पृष्ठ क्र. 42
  3. संस्कृति के चार अध्याय: रामधारी सिंह दिनकर, पुनरावृत्ति 1993 ई. लोकभारती, प्रकाशन, इलाहाबाद, पृ. 535
  4. भारतीय साहित्य के निर्माता, रामधारी सिंह दिनकर, विजेंद्र नारायण सिंह, साहित्य अकादमी, रवींद्र भवन, 35 फीरोजशाह मार्ग, नई दिल्ली, प्रथम संस्करण-2005, पृष्ठ क्र. 44