Adhunik Kavya Geeton Main Yug Bodh
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Abstract
ईश्वर निर्मित प्रकृति परिवर्तनशीला है।, इसलिए संसार शब्द जगत वाची माना गया है। ‘‘संसरति इति संसारः’’ अर्थात् जो हमेशा चलता रहे उसे संसार कहते हैं। काल ने इस अविच्छिन्न धारा को भले ही विभाजित किया हो, लेकिन समसामयिक अद्यतन को आधुनिक काल के रूप में परिभाषित किया है। पूर्व घटित घटनाओं को भूतगत एवं अनागत को भविष्यकाल के रूप में परिभाषित किया जाता है। आधुनिककाल का अभिप्राय हमारे समझ से प्रस्तुत समयावधि मानी गयी है और यह देखा गया है कि जो संसार में घटित होता है उसको आधुनिक घटित घटना के रूप में स्वीकार किया जाता है। इस आधुनिकता में अनेक परिक्षेत्र देखने को मिलते हैं चाहे वह सामाजिक, राजनैतिक, ऐतिहासिक या साहित्यक दृष्टि में से किसी का हो। इन सभी दृष्टियों पर वर्तमान युग का प्रत्यक्षीकरण प्रत्येक मनुष्य को होता है और इसी को हम युगबोध के रूप में परिभाषित करते हैं। इस प्रकार संसार का परिवर्तन अथवा परिवर्धन होता है और उसका प्रभाव प्रत्येक क्षेत्र में देखा जाता है। यदि हम साहित्य के क्षेत्र का विहंगावलोकन करें तो हमे काव्य की अनेक विधाएं इस आधुनिक युग में प्राप्त होती है। इसमें प्रायः पूर्वकाव्य संशिलिष्ट न तो कोई बंध होता है और न ही कोई परिधि, इसलिए इसे नई कविता के रूप में साहित्य ने स्वीकार किया है। नई कविताओं को लिखने वाले कवियों ने प्रायः मनुष्य संशस्पृषित लगभग सभी क्षेत्रों को अपनी लेखनी का विषय बनाया है। हमारे यहाँ कविता का इतिहास कई हजार वर्ष पुराना माना जाता रहा है। आदिकवि वाल्मीकि से लेकर आज तक न जाने कितने कवियों ने विभिन्न विषयों को केन्द्र में रखते हुए अपनी लेखनी चलाई है।