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Dr Vikas Dave

Abstract

प्रस्तावना बाल साहित्य में कविता विधा बच्चों के लिए सबस े सहज, सरल और ग्राह्य विधा है। कविता के माध्यम स े दिया हुआ संदेश बच्चों का े न केवल रुचिकर लगता है। अपितु उनके लिए प्र ेरणा का काम भी करता है। बड ़ों के लिए प्रकृति चित्रण करना साधारणतः बिम्बात्मक अधिक होता है वहाँ प्रकृति के सानिध्य में जाकर कवि एक उदात्त भावभूमि पर होता है। उसके लिए प्रकृति कभी सहचरी कभी सखी तो कभी ईश्वर निर्मित उपहार होता है। बच्चों क े लिए प्रकृति चित्रण करते समय इस प्रकार के प्रतीक और बिम्ब कम उपयोग म ें लाये जात े हैं। बाल साहित्य में प्रकृति बच्चों के आन ंद उत्सव का एक माध्यम ता े होती है साथ ही प्रकृति का मातृ स्वरूप बच्चा ें का े अधिक आकर्षित करता है। प्रकृति चित्रण का एक और स्वरूप बाल साहित्य में बहुप्रचलित है और वह ज्ञानार्जनात्मक, इस प्रकार की रचनाओं में विशुद्ध तथ्य परकता एवं वैज्ञानिक सिद्धान्तों पर आधारित होना इसकी सबसे बड़ी विशेषता होती है। 1960 के दशक में बाल कविता के अनेक कवियों न े प्रकृति चित्रण पर अपनी कविताएँ प्रस्तुत कीं। प्रस्तुत अध्याय में प्रकृति चित्रण का े दो भागों म ें बाँटा गया है- (1) शुद्ध प्रकृति चित्रण (2) प्रेरक प्रकृति चित्रण इन भागों म ें प्रकृति की स ुन्दरता का चित्रण मोहक दृष्टि से किया गया हैं। इसमें सभी प्राकृतिक वस्तुओं क े साथ उनकी विशेषताएँ प्रदर्शित की गई है। साथ ही अनेक वस्त ुओं से हम ें कुछ सीख भी मिलती हैं। जिसका असर बालमन पर बहुत गहरा होता है। और वह उम्र के साथ प्रकृति की महिमा को समझने का प्रयास करता है। बच्चे अधिकतर प्रकृति स े कुछ सीख भी लेत े हैं। जिस तरह प्रकृति सभी के लिए समान भाव रखती है उसी तरह बालकों का मन भी पवित्र होता है।

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CITATION
DOI: 10.54903/haridra.v1i04.7761
Published: 2021-01-04

How to Cite
Dave, D. V. (2021). Sathottari Bal Kavita Main Prakrati Chitran Evam Paryawaran Bodh. Haridra Journal, 1(4), 13–24. https://doi.org/10.54903/haridra.v1i04.7761