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Dr Kiran Arya

Abstract

‘वैश्विक महामारी और अथर्ववेदीय चिकित्सा पद्धति’ इस लेख का उद्देश्य जनमानस में प्राचीनतम खोयी हुई परम्परा को आधुनिक युग में पुनः जीवन्त करना है। उद्देश्य स्पष्ट है कि जो प्राचीन हवन, योग, प्राणायाम, सात्त्विक आहार आदि वर्तमान वैज्ञानिक युग में भी परम आवश्यक हैं तथा इस नित्यकर्म (हवन, प्राणायाम आदि) से आधुनिक वैज्ञानिक भी अब पूर्णतया सहमत हैं। वेद एवं आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति आज भी उसी तरह ही प्रासंगिक है जिस तरह अर्वाचीन में प्रयुक्त होने वाली एलोपैथी चिकित्सा पद्धति। अतः स्पष्ट है कि समूचे विश्व में उस परम्परा का लोहा पुनः माना जिस परम्परा को हम मन से, कर्म से भूल चुके थे। अतः ऋषि दयानन्द का कथन तथा उनकी अभिलाषा पूर्णतया दिग्दर्शित हो रही है कि ‘वेदों की ओर लौटो।’

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CITATION
DOI: 10.54903/haridra.v2i05.7723
Published: 2021-06-30

How to Cite
Arya, D. K. (2021). Vaishvik Mahamari Aur Athravaveediya Chikitsa Paddhati. Haridra Journal, 2(5), 22–27. https://doi.org/10.54903/haridra.v2i05.7723