Umrav Singh Jatav Krit “Thamega Nahi Vidroh“ Ppanyas Main Shilp
Main Article Content
Abstract
थमेगा नहीं विद्रोह’ उपन्यास ग्रामीण परिवेश को लेकर लिखा गया सामाजिक उपन्यास है। इसमें दलितों के जीवन चरित्रों के माध्यम से भारत की दलित समस्या को बताया गया है। शिल्प की दृष्टि से उपन्यास में उत्तरप्रदेश के गांवों एवं कस्बों में बोली जाने वाली ठेठ बोलियों का भरपूर प्रयोग संवाद में मिलता है। उपन्यास के कथानक में भाषा-शैली की विविधता है।
Article Details
CITATION
DOI: 10.54903/haridra.v1i01.7806
Published: 2020-03-31
How to Cite
Atedia, S. (2020). Umrav Singh Jatav Krit “Thamega Nahi Vidroh“ Ppanyas Main Shilp. Haridra Journal, 1(1), 36–37. https://doi.org/10.54903/haridra.v1i01.7806